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International Conference on Hindi Studies - PARIS 2016

अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी संगोष्ठी

हमें आपको सूचित करते हुए अत्यन्त हर्ष हो रहा है कि फ़्रांस की राजधानी पेरिस स्थित राष्ट्रीय प्राच्य भाषा और संस्कृति संस्थान (inalco) में एक अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी संगोष्ठी का आयोजन 2016 में होने जा रहा है। इस संगोष्ठी में आपकी उपस्थिति प्रार्थनीय है।

इस संगोष्ठी का आयोजन भारत के विदेश मंत्रालय, फ्रांस के राष्ट्रीय प्राच्य भाषा और संस्कृति संस्थान (inalco), ईरान और भारत विद्या शोध-संस्था (MII, UMR 7528) तथा LABEX से मिले अनुदानों के तहत होगा।

अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी संगोष्ठी के बारे में

हालाँकि अनेक अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी संगोष्ठियाँ दुनिया के विविध विश्वविद्यालयों द्वारा समय-समय पर आयोजित की जाती रही हैं, फिर भी हमें यह कहते हुए गर्व हो रहा है कि पेरिस में होने वाली यह संगोष्ठी कई मायनों में अपने आप में अनूठी है। हिन्दी संगोष्ठियों के इतिहास में संभवतः पहली बार हिन्दी भाषाविज्ञान, हिन्दी-साहित्य तथा हिन्दी भाषाशिक्षण के क्षेत्रों में हो रहे उच्च स्तरीय शोध को इस संगोष्ठी का लक्ष्य बनाया गया है।

यह संगोष्ठी तीन दिन चलेगी तथा तीनों दिन तीन समानान्तार सत्र भी होंगे। ज़ाहिर है कि इससे दुनिया के विश्वविद्यालयों में कार्यरत हिन्दी विद्वान एक साथ बैठकर आपस में विचारों का आदान-प्रदान कर सकेंगे। साथ ही उन्हें हिन्दी भाषाविज्ञान, हिन्दी-साहित्य तथा विदेशी भाषा के रूप में हिन्दी भाषा के शिक्षण के क्षेत्रों में दुनिया के विश्वविद्यालयों में हो रहे शोध से परिचित होने का भी मौक़ा मिलेगा।

संगोष्ठी के लक्ष्य और उद्देश्य

  • लेखाजोखा तैयार करना - इस संगोष्ठी का सबसे पहला उद्देश्य है विश्व स्तर पर हिन्दी भाषा-विज्ञान, हिन्दी-साहित्य तथा विदेशी भाषा के रूप में हिन्दी-शिक्षण के क्षेत्र में हो रहे शोध का लेखाजोखा तैयार करना।
  • परीक्षण करना - साथ ही इस संगोष्ठी का उद्देश्य है भावी शोध के लिए उभरकर आने वाले नए विषयों की पहचान तथा शोध के भावी नवीन क्षेत्रों का निर्धारण करना।
  • प्रोत्साहन देना - इस संगोष्ठी का अगला उद्देश्य है हिन्दी के ऐसे युवा शोधार्थियों (पीएच.डी. तथा अन्य शोधार्थी) का पता लगाना जो अपने शोध के द्वारा हिन्दी-अध्ययन को नए आयाम प्रदान करना चाहते हों। जिन युवा शोधार्थियों के शोध-पत्रों को पूरी समीक्षा के बाद हमारे द्वारा प्रकाशनाधीन ग्रन्थों में सम्मिलित किया जाएगा उनके आंशिक या पूरे खर्चे (पेरिस-यात्रा, आवास और भोजन, आदि) का वहन संगोष्ठी आयोजकों द्वारा भारत सरकार तथा इनाल्को से मिले अनुदान के अन्तर्गत किया जाएगा।
  • संपर्क स्थापित करना - इस संगोष्ठी का एक और उद्देश्य है विश्व में फैले हिन्दी शोध-केन्द्रों के बीच संपर्क-सूत्र स्थापित करना तथा शोध और शिक्षण के क्षेत्र में सहयोगी संस्थाओं के बीच समझौते के माध्यम से भावी हिन्दी-शोध की आधारभूमि तैयार करना।

Bienvenue sur le site officiel du colloque

International Conference on Hindi Studies

A propos de l'ICHS 2016

L’International Conference on Hindi Studies (ICHS), qui aura lieu à l'INALCO en 2016, sera le premier colloque scientifique international exclusivement consacré aux études hindies et jamais organisé en France. Il sera aussi le premier colloque international à couvrir simultanément les trois principaux aspects du champ des études – linguistique, littérature et didactique.

L’ICHS se donne quatre objectifs principaux : décrire, prospecter, promouvoir et relier. En d’autres termes, il ambitionne de dresser un état des lieux des recherches en cours au niveau mondial, identifier les domaines d’intérêt  majeurs pour les recherches à venir, repérer et promouvoir de jeunes chercheurs qui renouvellent le champ des études hindies, susciter des articulations entre des recherches de différents lieux et domaines et initier les bases de futurs partenariats internationaux, tant dans le domaine de la recherche que dans celui de l’enseignement.

Le colloque ICHS 2016 est organisé avec le soutien financier du Ministère des Affaires Etrangères indien, du conseil scientifique de l'INALCO, de l'Unité mixte de Recherche (UMR7528) "Mondes iranien et indien", du LABEX-EFL.

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inalco  mii   pspc

LogoEFLseul

Format

  • 3 journées d’échange
  • Participation payante
  • Une rencontre internationale en anglais, hindi et français
  • 80 participants attendus, 40 intervenants dont 35 venus de l’étranger, 10 nationalités représentées
  • 4 sessions plénières et 3 sessions parallèles sur chaque journée

Objectifs du colloque

  • Décrire : dresser un état des lieux des recherches en cours au niveau mondial dans le champ des études hindies, tant en linguistique qu’en littérature et en didactique.
  • Prospecter : discerner les thématiques émergentes et les perspectives nouvelles, identifier les domaines d’intérêt  majeurs pour les recherches à venir.
  • Promouvoir : repérer et promouvoir de jeunes chercheurs qui renouvellent le champ des études hindies. Dix jeunes chercheurs  (doctorants, post-doctorants), dont les articles auront été évalués en double aveugle et sélectionnés pour leur apport novateur dans le champ des études hindies, seront intégralement financés (transport, hébergement, restauration, inscription) pour la durée du colloque et présenteront leurs travaux dans le cadre des sessions parallèles.
  • Relier : susciter des articulations entre des recherches de différents lieux et domaines,  contribuer à décloisonner les différentes disciplines et domaines qui seront représentés, initier les bases de futurs partenariats, tant dans le domaine de la recherche que dans celui de l’enseignement.

Thèmes

  • Thème 1 : linguistique hindie

Outre les contributions sur le thème principal, à savoir : les aspects syntaxiques, sémantiques et pragmatiques du prédicat verbal complexe en hindi, seront également appréciées les contributions portant sur des sujets relatifs à la syntaxe, la sémantique, la phonologie ou la sociolinguistique du hindi.

En sociolinguistique, les sujets incluront la planification linguistique et la "three language formula", le statut du hindi en Inde, les relations entre le hindi et l’anglais et les autres langues indiennes, le hindi et le bilinguisme, les phénomènes de diglossie.  

  • Thème 2 : littérature hindie moderne

Le thème des tendances actuelles dans la littérature hindie moderne, inclura des sujets tels que littérature hindie et religion, littérature hindie et société, les relations entre la littérature hindie et les autres littératures indiennes ou les littératures occidentales.

Cependant, le but n’est pas de limiter le débat exclusivement aux formes esthétiques dominantes du modernisme et du post-modernisme, mais de l’étendre également à l’esthétique de la littérature Dalit et aux formes esthétiques populaires telles qu’on les connaît chez des écrivains hindis "anchlik", tels que Phanishvar Nath Renu.

  • Thème 3 : didactique du hindi langue étrangère

Les sujets comprendront l’enseignement du hindi dans un monde numérique, le hindi et Internet, les TICE dans l’enseignement du hindi, les ressources pédagogique hindies en ligne, les dictionnaires en ligne, les corpora, etc.

Organisation

INALCO et Mondes Iranien et Indien (MII UMR 7528)

 

Commités

 

अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी संगोष्ठी के सत्र

  • पहला सत्र - हिन्दी भाषाविज्ञान

हिन्दी भाषाविज्ञान के इस सत्र का मूल विषय ‘हिन्दी के संश्लिष्ट क्रियापद के वाक्यीय, अर्थीय तथा व्यवहारात्मक पक्षों की चर्चा’ होगा। लेकिन इसके अलावा हिन्दी भाषा की वाक्यरचना, हिन्दी अर्थविज्ञान, हिन्दी स्वनविज्ञान, हिन्दी का समाजभाषाविज्ञान आदि विषयों पर लिखे गए शोध-पत्र भी स्वीकार किए जाएँगे। समाजभाषाविज्ञान के विषयों में भाषा-नियोजन और हिन्दी, त्रिभाषा सूत्र और हिन्दी, हिन्दी की भारत में स्थिति, हिन्दी का अंग्रेज़ी और दूसरी भारतीय भाषाओं से संबंध, भारत में द्विभाषिकता और हिन्दी, हिन्दी में डायग्लोसिया की स्थिति को लेकर लिखे गए शोध-पत्रों पर भी विचार किया जाएगा।

  • दूसरा सत्र - आधुनिक हिन्दी-साहित्य

इस सत्र में हिन्दी-साहित्य और धर्म, हिन्दी-साहित्य और समाज तथा हिन्दी-साहित्य तथा पश्चिमी साहित्य के बीच संबंधों को ध्यान में रखकर आधुनिक हिन्दी-साहित्य की अधुनातन प्रवृत्तियों की विवेचना को लेकर लिखे गए शोध-पत्र स्वीकार किए जाएँगे। इसके अलावा इस सत्र का उद्देश्य हिन्दी-साहित्य में आधुनिकतावाद तथा उत्तर आधुनिकतावाद के सौन्दर्यशास्त्र की ही नहीं बल्कि दलित साहित्य तथा आंचलिक साहित्य के सौन्दर्यशास्त्र की विवेचना करना भी होगा।

  • तीसरा सत्र - हिन्दी भाषा का विदेशी भाषा के रूप में शिक्षण

इस सत्र में अंकीकृत (digitized) विश्व में हिन्दी भाषाशिक्षण, इंटरनेट और हिन्दी, अंकीकृत हिन्दी भाषाशिक्षण सामग्री, ऑनलाइन हिन्दी शिक्षण सामग्री, ऑनलाइन हिन्दी शब्दकोश, हिन्दी कॉरपोरा, हिन्दी शिक्षार्थी कोश आदि विषयों पर शोध-पत्र स्वीकार किए जाएँगे।

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